गिल्बर्ट नर्सिंग होम के बाद अब प्रोफेसर अग्नीस्वरूप आपके लिये एक और खतरनाक केस लेकर आये हैं। यह केस है मुंबई के डीसूजा चॉल का। मुंबई के माहिम कि डीसूजा चॉल तब से प्रख्यात हुई, जब से वहाँ पर अजीबो-गरीब और डरावने किस्से होने की बात सामने आने लगी। ऐसे किस्से जो चॉल में रहने वाले कुछ लोगों की मौत का कारण बने। मुंबईकरों और खासतौर पर माहिम वासियों के लिए यह बहुत चौका देने वाली बात थी। इन घटनाओं के बाद मानो डीसूजा चॉल खाली हो गई। अब वहाँ कोई नहीं रहता। लेकिन कहा जाता है कि आज भी वहाँ रात में डरावनी चीजें होती है। आइये सुनते हैं डीसूजा चॉल की यह कहानी प्रोफ़ेसर अग्नीस्वरूप की ज़ुबानी।
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रतना चाची
डीसूजा चॉल में पानी भरने के लिए, वहाँ रहनेवालों की भीड़ लग जाती थी। एक बार उस भीड़-भाड़ से बचने के लिए चॉल की रतना चाची रात में जाकर कुएँ से बालटियाँ भर-भरकर पानी निकाल रही थी, कि तभी ज़मीन पर उनका पैर फिसला और वो। काश वो उस रात कुएँ के पास ना जाती।
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चॉल का कुआं
रतना चाची की मौत के कुछ दिन बाद धीरे-धीरे सब ठीक हो रहा था कि तभी एक रोज़ चौकीदार अंकल अपनी नाइट ड्युटी ख़त्म कर अपने घर जा ही रहे थे कि उन्होंने कुएँ के पास एक औरत की चीख सुनी, वे जब कुएँ के पास गए, तो वहाँ का दृश्य अविश्वस्नीय था। उन्होंने घबराकर चॉल के लोगों को इकट्ठा किया और सारी घटना के बारे में बताया, तो सब हक्के-बक्के रह गए। आइये सुनते हैं आगे क्या हुआ।
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पार्कर परिवार
चौकीदार अंकल के बाद शायद अब अगला नंबर पार्कर परिवार के प्रमोद का था। इस बार उसने कोई चीख नहीं बल्कि पूरी कि पूरी औरत को देखा। कभी हंसती -कभी रोती वो औरत अपने सबसे डरावने रूप में आकर प्रमोद को पागल कर रही थी। इतना कि वो अपने आप को सम्भाल नहीं पाया और बेहोश हो गया।
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परछाईं
चौकीदार और प्रमोद के साथ जो हुआ, वो क्या कम था कि अब वो आत्मा चॉल कि महिलाओं के पीछे पड़ी थी। कुएँ से निकलती हुई वो औरत इस तरह अपना प्रकोप बरसा रही थी कि चॉल के लोगों ने उस कुएँ को ही हमेशा के लिए बंद कर देने का फैसला ले लिया और चॉल की सुरक्षा के लिए पहरा देना भी शुरु कर दिया था।
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छत
कुएँ को बंद कर देने के बाद भी वो औरत नहीं रुकी। इस बार उसने चॉल के मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाया। अपने बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं होते देख डीसूजा चॉल के सभी माँ-बाप डर गए और उस डरावनी औरत से बचने के लिए उन्होंने एक आखरी फैसला लिया। आइये सुनते हैं क्या था उनका फैसला।