महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की मशहूर कवियित्री हैं। उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला जैसे क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये। उनकी गणना हिंदी कविता के बड़े-बड़े कवियों और कवियित्रियों में की जाती है। वह महात्मा बुद्ध के जीवन से बहुत प्रभावित थीं। उन की काव्य रचनायों में नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, अग्निरेखा, प्रथम आयाम, सप्तपर्णा, यामा, आत्मिका, दीपगीत, नीलामम्बरा और सन्धिनी शामिल हैं। उनकी ऐसी ही खूबसूरत रचनाओं और कहानियों को फिर एक बार आप इस शो में सुन सकेंगे।
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दो फूल
दुनिया आपको तब तक प्यार करती है जब तक आपके पास कुछ देने के लिए है। उसके बाद आपको भुला दिया जाता है। महादेवी वर्मा की कहानी 'दो फूल' में प्रकृति के इस कटु सत्य को बहुत खूबसूरती से पेश किया गया है।
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दुर्मुख ख़रगोश
प्रस्तुत कहानी ‘दुर्मुख' लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित खरगोश और उसके शावकों की कहानी है। कहानी में दुर्मुख के क्रोधी स्वभाव के कारण उसे लड़ाकू, दुर्वासा आदि नाम से पुकारा जाता था। अपने क्रोधी स्वाभाव के कारण वह महादेवी के पालतू पशु-पक्षियों को नुकसान पहुँचाता था। उसके क्रोध को कम करने के लिए, मादा खरगोश हिमानी को लाया जाता है। लेकिन इसके बावजूद दुर्मुख का क्रोध कम नहीं हो पाता। हिमानी के संयोग से, जो शावक होते हैं, दुर्मुख उन्हें ही नुकसान पहुँचाने लगता है। एक बार अपने क्रोधी स्वभाव के कारण दुर्मुख एक सँपोले पर आक्रमण कर बैठता है। क्रोधी प्रकृति में भी पार्थिव रूप से मारक विष नहीं रहता। इसी कारण बेचारा दुर्मुख सँपोले का दंशन-विष नहीं सह सका, परन्तु मृत्यु से पहले उसने शत्रु के दो खान कर के अपना प्रतिशोध ले लिया। यह कहानी मातृ-स्नेह से वंचित शिशु, शावक के ह्रदय को बहुत अच्छे से दर्शाती ही।
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गौरा गाय
प्रकृति हमारी माँ है और पशु-पक्षी हमारे सहजीवी। लेकिन आज का मानव, स्वार्थ-पूर्ति के लिए निर्ममता से पशु-पक्षियों की हत्या कर रहा है। प्रस्तुत कहानी ‘गौरा‘ महादेवी वर्मा द्वारा पालित गाय की कहानी है। महादेवी, अपनी छोटी श्यामा के घर से बछिया लाई। परिचितों और परिचारकों ने गाय का स्वागत किया। गाय का नामकरण ‘गौरा’ किया गया। गौरा व्यस्क अवस्था में सुबह-शाम लगभग बारह सेर दूध देती थी। इस कारण ग्वालों से दूध मँगाना बंद कर दिया। ईर्ष्यावश अपने धंधे को मंदा होते देख, ग्वाला गुड़ की बड़ी डाली के भीतर सूई रखकर गौरा को खिलाकर निर्दोष प्राणी की असमय मृत्यु निश्चित कर देता है | मर्मस्पर्शी इस कथा को सुने।
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सुभद्रा
महादेवी वर्मा, कालेज के दिनों से ही सुभद्रा कुमारी चौहान को जानती थी। तभी से उन दोनों के बीच घनिष्ठ मित्रता हो गई थी। सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी जी का हाथ पकड़ कर सखियों के बीच में ले जाती और कहती ― “सुनो, ये कविता भी लिखती हैं”। इस एपिसोड में सुनिए, महादेवी वर्मा के जीवन के उस चरण के बारे में, जिसका एक अहम हिस्सा सुभद्रा जी थीं।
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सोना हिरणी
प्रस्तुत कहानी 'सोना हिरनी' महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक ऐसी कहानी है, जिसमें एक हिरन और उसके द्वारा किए गए क्रियाकलाप को दिखाया गया है। साथ ही, महादेवी वर्मा ने उस हिरण की चाल, मदहोशपन और उसकी दिनचर्या को बखूबी दर्शाया है।