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श्री दुर्गा सप्तशती

श्री दुर्गा सप्तशती

Duration

2hr 59m

Language

Hindi

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Category

Hindi Shows

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शक्ति-पूजन की परंपरा में श्रीदुर्गासप्तशती का अनन्य स्थान है। वासन्तिक नवरात्रा हो या शारदीय, माँ दुर्गा की पूजा के साथ दुर्गासप्तशती में निहित उनकी महिमा का पाठ घर घर में श्रद्धापूर्वक होता है। वस्तुतः यह दुर्गासप्तशती भी मार्कण्डेय-पुराण का ही अंश है, किन्तु यह सदियों से अपने आकार-ग्रन्थ से पृथक् अस्तित्व बना चुका है। कात्यायनी तंत्रा में इसके मंत्रा-विभाग का उल्लेख मिलता है। इसके सात सौ मंत्रों का पारायण, वाचन और जप सदियों से कार्यसिद्धि एवं साधना के लिए होता आया है। इतना ही नहीं, इस ग्रन्थ का लेखन भी देवी दुर्गा की उपासना के रूप में सदियों से प्रतिष्ठित रहा है। दुर्गास्सप्तशती की परंपरा सम्पूर्ण भारत में व्याप्त है। दक्षिण भारत में भी इसकी कई टीकाओं की रचना हुई है। भारत-विश्रुत महावैयाकरण के उद्भट विद्वान नागेश भट्ट ने भी इस पवित्रा-ग्रन्थ पर अपनी टीका लिखी है। विभिन्न भाषाओं में इसके गद्यानुवाद एवं पद्यानुवाद हुए हैं। इसकी प्रमुख छह संस्कृत टीकाओं का संकलन भी बीसवीं शती के प्रारम्भ में ही औदीच्य सहस्त्राज्ञातीय हरिकृष्णशर्मा के संपादन में खेमराज वेंकटेश्वर प्रेस, मुम्बई से प्रकाशित हो चुका है। हम आप सभी के लिए चैत्र नवरात्रि के इस पावन अवसर पर 'श्री दुर्गा सप्तशती' शो लेकर आए हैं। आशा है, आपको पसंद आएगा।

श्री दुर्गा सप्तशती

Hindi Shows|Hindi|24 Episodes
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About Show

शक्ति-पूजन की परंपरा में श्रीदुर्गासप्तशती का अनन्य स्थान है। वासन्तिक नवरात्रा हो या शारदीय, माँ दुर्गा की पूजा के साथ दुर्गासप्तशती में निहित उनकी महिमा का पाठ घर घर में श्रद्धापूर्वक होता है। वस्तुतः यह दुर्गासप्तशती भी मार्कण्डेय-पुराण का ही अंश है, किन्तु यह सदियों से अपने आकार-ग्रन्थ से पृथक् अस्तित्व बना चुका है। कात्यायनी तंत्रा में इसके मंत्रा-विभाग का उल्लेख मिलता है। इसके सात सौ मंत्रों का पारायण, वाचन और जप सदियों से कार्यसिद्धि एवं साधना के लिए होता आया है। इतना ही नहीं, इस ग्रन्थ का लेखन भी देवी दुर्गा की उपासना के रूप में सदियों से प्रतिष्ठित रहा है। दुर्गास्सप्तशती की परंपरा सम्पूर्ण भारत में व्याप्त है। दक्षिण भारत में भी इसकी कई टीकाओं की रचना हुई है। भारत-विश्रुत महावैयाकरण के उद्भट विद्वान नागेश भट्ट ने भी इस पवित्रा-ग्रन्थ पर अपनी टीका लिखी है। विभिन्न भाषाओं में इसके गद्यानुवाद एवं पद्यानुवाद हुए हैं। इसकी प्रमुख छह संस्कृत टीकाओं का संकलन भी बीसवीं शती के प्रारम्भ में ही औदीच्य सहस्त्राज्ञातीय हरिकृष्णशर्मा के संपादन में खेमराज वेंकटेश्वर प्रेस, मुम्बई से प्रकाशित हो चुका है। हम आप सभी के लिए चैत्र नवरात्रि के इस पावन अवसर पर 'श्री दुर्गा सप्तशती' शो लेकर आए हैं। आशा है, आपको पसंद आएगा।

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