Logo
Logo
mic
Download
'रंग-ए-ग़ज़ल' सीज़न 2

'रंग-ए-ग़ज़ल' सीज़न 2

Duration

0hr 40m

Language

Urdu

Released

Category

Entertainment

Like

Favorite

like

Review

play

Play

share

Share

ग़ज़लें झऱने की तरह होती है। जिस तरह झरने से ठंडा पानी बहता है, उसी तरह ग़ज़लों से शायरों के दिल में छिपी भावनाएं बहती हैं। अपनी भावनाओं को बताने के लिए अक्सर शायर गहराई से भरे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते हैं। और इन्ही अल्फ़ाज़ों को एक साथ एक ही धागे में पिरोकर शायर ग़ज़लें तैयार करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि जितना पुराना उर्दू साहित्य का इतिहास है, उतना ही पुराना ग़ज़लों का भी इतिहास है। हर मूड में सुनी जाने वाली ग़ज़लों के इस शो 'रंग-ए-ग़ज़ल' में आपका स्वागत है। इस शो में हम आपके लिए सभी दिग्गज शायरों की एक से एक ग़ज़लें लेकर आए हैं।

'रंग-ए-ग़ज़ल' सीज़न 2

Entertainment|Urdu|10 Episodes
Like
share
like

About Show

ग़ज़लें झऱने की तरह होती है। जिस तरह झरने से ठंडा पानी बहता है, उसी तरह ग़ज़लों से शायरों के दिल में छिपी भावनाएं बहती हैं। अपनी भावनाओं को बताने के लिए अक्सर शायर गहराई से भरे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते हैं। और इन्ही अल्फ़ाज़ों को एक साथ एक ही धागे में पिरोकर शायर ग़ज़लें तैयार करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि जितना पुराना उर्दू साहित्य का इतिहास है, उतना ही पुराना ग़ज़लों का भी इतिहास है। हर मूड में सुनी जाने वाली ग़ज़लों के इस शो 'रंग-ए-ग़ज़ल' में आपका स्वागत है। इस शो में हम आपके लिए सभी दिग्गज शायरों की एक से एक ग़ज़लें लेकर आए हैं।

You may also like

Picture of the author

सिंधु घाटी सभ्यता

play
Picture of the author

न ग़ुबार में न गुलाब में मुझे देखना

play
Picture of the author

S1E1: D'Evil

play
Picture of the author

Anurag Kashyap

play
Picture of the author

ईद उल फ़ित्र

play
Picture of the author

अली सरदार जाफरी - मख़दूम पुरस्कार

play