जैसे बीरबल के बिना बादशाह अकबर अधूरे थे वैसे तेनाली राम के बिना महाराज कृष्णदेव राय अधूरे थे। तेनाली राम की बुद्दिमता का कोई तोड़ नहीं है। उनकी चतुराई के आगे बहुतों ने सर झुकाए हैं। ऐसे तेनाली राम के किस्सों के साथ हम फिर एक बार आ गए हैं। सुनिए ‘तेनाली राम के किस्से’ सीज़न 2 केवल aawaz.com पर।
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हीरों का सच
हीरों का सच' एक मालिक और नौकर की ऐसी कहानी है, जो आपको एक नहीं बल्कि दो-दो सीख देती है। एक यह कि लालच का अंत हमेशा बुरा होता है और दूसरा यह कि जीवन में जब भी आप किसी और का बुरा करने के लिए झूठ बोलते हैं, तो वो झूठ ज़्यादा देर तक टिकता नहीं है और सच सामने आ ही जाता है। तेनाली राम और राजा कृष्णदेव राय की यह कहानी न्याय की कहानी है। आइये इस सुनते हैं।
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इम्तिहान
तेनाली राम के जीवन में ऐसा बहुत बार हुआ जब लोगों ने उनकी बुद्धि और समझदारी की परीक्षा ली। हर बार वे उन परीक्षाओं में विजय रहे थे। लेकिन इस बार मामला कुछ और था। इस बार किसी अन्य राज्य के राजा को प्रसन्न करने की बात थी। और राजा भी ऐसा, जो एकदम कठोर था। तेनाली अपनी मनमोहक बातों से उसका दिल जीतने की कितनी भी कोशिश करें, वो ना खुद हँसे, न दूसरों को हसने दे। अब ऐसे में तेनाली राम क्या करेगा? आप भी सोचिये, हम भी सोचते है!
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जाड़े की मिठाई
जाड़े का मौसम साल का सबसे मज़ेदार मौसम होता है। इस मौसम खाने-पीने का बहुत मज़ा आता है। राजा कृष्णदेव राय और राज-दरबार के लोगों को भी इस मौसम स्वादिष्ट व्यंजनों के चटकारे लगाने का बहुत मज़ा आता है। खासकर, जाड़े में मिलने वाली मिठाइयों बेहद स्वादिष्ट। यही मिठाइयां हमारे राजा कृष्णदेव राय की भी पसंदीदा हैं। इन्हे देखते ही उनके मुंह में पानी आ जाता है। तो आइये सुनते हैं क्या हुआ जब जाड़े की मिठाइयों का आनंद लेने के लिए राजा हलवाई के पास पहुंचे? क्या उन्हें मिठाइयां खाने मिली? या फिर, हलवाई के यहाँ कुछ और ही धमाल हो रहा था?
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कीमती उपहार
कीमती उपहार' एक बेहद दिलचस्प कहानी है। यह तेनाली राम के चातुर्य और बुद्धिमता का अद्भुत उदाहरण देती है। इसी चातुर्य के चलते वे फिर एक बार अपने राजा, कृष्णदेव राय से अनअपेक्षित और बहुमूल्य इनाम हासिल करते हैं। आइये सुनते हैं यह कहानी और जानते हैं कि तेनाली राम ने अपनी बुद्धि किस प्रकार चलाई की सभा में सबसे देरी से पहुंचे के बावजूद उन्हें महाराज से फटकार नहीं, बल्कि उपहार मिला।
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कितने कौवे
क्या आसमान में मौजूद कौवों की भी कभी गिनती हो सकती है? नहीं न! लेकिन तेनाली राम ने अपने राजा के कहने पर कौवों की गिनती कर के बताई। है ना यह आशार्य की बात। आइये सुनते हैं कि यह नामुमकिन घटना कैसे मुमकिन हुई।
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राजा का तोता
राजा कृष्णदेव राय को उनका तोता बहुत प्रिय था। उस तोते ने दरबार में सबका मन मोह लिया था। लेकिन एक दिन वह तोता मर गया और किसी को समझ नहीं आ रहा था की राजा को यह बात कैसे बताएं। ऐसे में तेनाली राम ने क्या किया, आइये सुनते हैं।
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सबसे बड़ा बच्चा
राज्य में दिवाली का मेला लगा। इस मेले में राज्य के सभी बच्चों के लिए एक प्रतियोगिता रखी गयी। बड़ों ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया, और वो भी बच्चे बनकर। यह तय किया गया कि जो भी बड़ा सबसे जल्दी और सबसे मज़ेदार अंदाज़ में बच्चा बनकर आएगा उसे 'सबसे बड़ा बच्चा' घोषित किया जाएगा और पुरस्कार भी मिलेगा। तो आइये सुनते है किसे घोषित किया गया तेनाली गाँव का 'सबसे बड़ा बच्चा'।
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सतरंगी फूलदान
तेनाली गाँव में ऐसी कोई चीज़ नहीं मिलती जिससे लोगों की जान खतरे में पड़े। और अगर ऐसी कोई चीज़ होती है, तो उसे निकाल दिया जाता है। फिर चाहे वो कोई इंसान हो या कोई फूलदान। जी हाँ! अब हम ऐसा क्यों कह रहे, यह तो आपको इस एपिसोड को सुनने के बाद ही पता चलेगा।
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तेनाली की बिल्ली
तेनाली गाँव में शुरू हुआ चूहे बिल्ली का खेल। लेकिन तेनाली की बिल्ली इस खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी। अब इसकी वजह क्या है, यह जानने के लिए आपको सुनना होगा यह एपिसोड।
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तेनाली का प्रयोग
तेनाली राम के सभी कारनामे एक से बढ़कर एक होते थे। खासकर वो, जिसमे वह अपने महाराज, कृष्णदेव राय को कोई सीख सिखा जाता था। आज का कारनामा भी कुछ ऐसा ही है। आइये सुनते हैं।