परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारत में ऐसे कई योद्धा रहे हैं, जिन्हें अपनी बहादुरी के प्रदर्शन के लिए इस सम्मान से नवाजा गया। हमारे इस शो में ऐसे ही बहादुर लोगों की कहानी आप सुन सकेंगे।
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ट्रेलर
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारत में ऐसे कई योद्धा रहे हैं, जिन्हें अपनी बहादुरी के प्रदर्शन के लिए इस सम्मान से नवाजा गया। हमारे इस शो में ऐसे ही बहादुर लोगों की कहानी आप सुन सकेंगे।
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धन सिंह थापा
1962 में चाइना द्वारा भारत पर किये गए आक्रमण के दौरान, भारत के कमीशन अधिकारी मेजर धन सिंह थापा की अहम भूमिका थी। अपने साथी योद्धाओं को प्रेरित करने के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया। इतना ही नहीं उन्हें साल 1963 में लेफ्टिनेंट कर्नल घोषित कर दिया गया।
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सूबेदार जोगिंदर सिंह
भारत और चाइना के 1962 के युद्ध के दौरान भारत में केवल एक ही सिख कंपनी थी, जिसकी अगुवाई सूबेदार जोगिंदर सिंह कर रहे थे। चीनी सेना के मुकाबले भारत के पास कम योद्धा होने के बावजूद सूबेदार जोगिन्दर सिंह और उनके साथियों ने सीमा पर डटकर मुकाबला किया। दुश्मनों द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद इन वीरों की कोई खबर नहीं आई। इसी साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
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मेजर शैतान सिंह
सन 1962 के भारत-चाइना युद्ध में बहादुरी के एक चमकते हुए सितारे मेजर शैतान सिंह को अपनी सेना के योद्धाओं का हौंसला बढ़ाने और बिना डरे दुश्मनों के हमले का जवाब देने के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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हवलदार अब्दुल हामिद
वीर हवलदार अब्दुल हामिद ने 1965 में पाकिस्तान द्वारा भारत पर हुए हमले में, पैटन टैंकों का डटकर मुकाबला किया। हालांकि पर्याप्त हथियार ना होने के कारण आखिर में वह चीनियों के हमले का शिकार बने। उनकी इसी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर घोषित किया गया।
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नायक जदुनाथ सिंह
भारत- पाकिस्तान विभाजन के उपरांत दुश्मनो द्वारा ६ फरवरी 1948 में नौशेरा पर हमला किया गया। लेकिन नायक जदुनाथ सिंह के जोश की वजह से इन हमलों में हम दुश्मनों को मात दे पाए। अपनी शक्ति और विश्वास के बलबूते पर नायक जदुनाथ सिंह और उनकी फ़ौज ने दुश्मनों के पहले दो हमलों का तो बराबर जवाब दे दिया, लेकिन तीसरे हमले के दौरान एक गोली आई और जदुनाथ सिंह के माथे को लगते हुए गुज़री। इस शक्तिशाली वीर की शहादत के लिए भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा।
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लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ बी॰ तारापोर
भारत का एक और गौरव लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर ने अपने देश की रक्षा के लिए ना सिर्फ लाइव ग्रेनेड का सामना करने का साहस दिखाया, बल्कि भारत के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण युद्ध में टैंक के जलने के कारण उसी आग में जलते हुए अपनी ज़िन्दगी का बलिदान भी दे दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ बी॰ तारापोर के इसी बलिदान को भारत ने परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।
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मेजर पीरू सिंह शेखावत
जुलाई 1948 में पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर पर किये गए नापाक हमलों के बाद, टीटवाल पहाड़ियों पर मोर्चे की रखवाली रखने का ज़िम्मा सौपा गया मेजर पीरू सिंह शेखावत की सेना को। इसी मोर्चे को टूटने से बचाए रखने के लिए बेबाक होकर पीरू सिंह ने दुश्मनों से युद्ध किया। इसी लड़ाई के दौरान, एक गोली पीरू सिंह के माथे को लग कर निकल गयी और वह वीरगति को प्राप्त हो गए। देश के प्रति उनकी इसी भक्ति को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
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कप्तान गुरबचन सिंह सालारिया
५ दिसंबर 1961 में बेल्जियम के विरुद्ध एलिज़ाबेथ विला में बहादुरी से लड़ते हुए, कप्तान गुरबचन सिंह सालारिया को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। कप्तान गुरबचन सिंह सालारिया का नाम देश के लिए बहादुरी पूर्वक प्राण न्योछावर करने वाले योद्धाओं में लिया जाता है।
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लांस नायक अल्बर्ट एक्का
1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था। इस युद्ध में भले ही भारत की सेना ने पाकिस्तान को एक बड़ी हार दे दी हो लेकिन इस युद्ध में हमारे देश के शूरवीर लांस नायक अल्बर्ट एक्का लड़ते हुए शहीद हो गए। उनके इसी बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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प्रमुख सोमनाथ शर्मा
परमवीर चक्र पाने वाले सबसे पहले व्यक्ति सोमनाथ शर्मा भारत-पाक के अलग होने के संघर्ष का हिस्सा थे। भारतीय सेना में उनका कार्यकाल दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शुरू हुआ था। आइये सुनते है, उस व्यक्ति की कहानी जिसने अपनी शूरता से देश की रक्षा की और वीरगति को प्राप्त हो गए।
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सूबेदार बाना सिंह
दुनिया के सबसे ऊँचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन के मोर्चे पर लड़ते हुए सूबेदार बाना सिंह ने जिस बहादुरी का प्रदर्शन किया उसके लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। आइये सुनते हैं नायक सूबेदार बाना सिंह की कहानी।
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कप्तान विक्रम बत्रा
यह कहानी है कप्तान विक्रम बत्रा की, जिन्होंने कारगिल के दौरान अपने एक सिपाही को बचाने के लिए अपनी ज़िन्दगी की कुर्बानी दे दी।
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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
इस एपिसोड में आप सुनेंगे मात्र 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र हासिल करने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की कहानी। 1999 के युद्ध में उन्होंने 15 गोलियां लगने और बुरी तरह से जख्मी होने के बाद भी अपनी सेना के साथ मिलकर दुश्मनों का डटकर सामना किया।
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मेजर होशियार सिंह
इस एपिसोड में आप सुनेंगे मेजर होशियार सिंह की कहानी, जिन्होंने 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में शानदार वीरता का प्रदर्शन कर परमवीर चक्र हासिल किया था।
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सूबेदार संजय कुमार
साल 1999 में सूबेदार संजय कुमार ने कारगिल युद्ध में एरिया फ़्लैट टॉप पर कब्ज़ा किया था, जो काफी महत्वपूर्ण था। उनके इसी योगदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया था।
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कप्तान मनोज कुमार पांडे
इस एपिसोड में आप सुनेंगे उस वीर की कहानी, जो मात्र 24 साल की आयु में देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए। साल 2003 में आई फिल्म 'एल.ओ.सी कारगिल' कप्तान मनोज कुमार पांडे के जीवन पर ही आधारित है।
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फ्लाइंग अधिकारी निर्मलजीत सिंह
फ्लाइंग अधिकारी निर्मलजीत सिंह सेखों भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, पीएएफ के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस को बचाते हुए वह शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र, भारत की सर्वोच्च सैन्य सजावट से सम्मानित किया गया।
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सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्तूबर, 1950 में पुणे में हुआ। १९७१ के युद्ध में कई जवानों ने बलिदान दिया, जिनमे सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल भी एक थे।
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सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्तूबर, 1950 में पुणे में हुआ। १९७१ के युद्ध में कई जवानों ने बलिदान दिया, जिनमे सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल भी एक थे।
Abhradip Poali
September 9, 2019 (15:39)
yea download nahi ho raha he!
Abhradip Poali
September 9, 2019 (15:40)
baar baar failed dikha raha hay.
User
September 11, 2019 (20:55)
savresh
Gaurav Kumar
January 7, 2020 (19:31)
यबाएफजेवी
घिव
Dharmendra Patel
February 17, 2020 (17:03)
very nice aap
kk Upadhyay
May 19, 2020 (15:57)
हाँ आपको परमवीर चक्र पर और अधिक बनानी चाहिए