प्रभु हनुमान भगवान श्री राम के महान भक्त थे। हिन्दू पारंपरिक और ऐतिहासिक कथाओं या कहानी में भगवान श्री हनुमान का नाम कई जगहों पर उल्लेख है। महाबली हनुमान की शक्ति और बल की कहानियों तो बहुतों ने पढ़ी हैं। लेकिन क्या आप उनकी बाल्य कथाओं से वाकिफ है? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं है। हम आपके लिए ‘बाल हनुमान’ शो के माध्यम से हनुमान जी के बाल्यावस्था यानी बचपन से जुड़ी कई रोमांचक और महान कथाएं लेकर आएं हैं। चलिए जानते हैं हनुमान जे के बाल्यावस्था की इन अनसुनी कहानियों को।
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शो का परिचय
महाबली हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है और वे प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हैं। हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानरराज केशरी हैं। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरीनंदन आदि नामों से पुकारा जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं। ऐसे वीर हनुमान के बालपन की कहानियों को सुनने के लिए तैयार हो जाइए।
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अप्सरा कुंजस्थला की कहानी
बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि भगवान् हनुमान की माता, देवी अंजना पहले इंद्रदेव की सबसे प्रिय अप्सराओं में से थी। फिर ऐसा क्या हुआ, उन्हें कौनसा ऐसा वरदान प्राप्त हुआ जिसके चलते उन्हें अंजना नाम प्राप्त हुआ।
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भगवान् हनुमान का जन्म
राजा कसरी और माता अंजना को भगवान् हनुमान एक अनोखे वरदान के रूप में प्राप्त हुए थे। क्या था यह वरदान और किस प्रकार हुआ भगवान् हनुमान का जन्म, आइये सुनते है एपिसोड 'भगवान् हनुमान का जन्म' में।
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सूर्य या भोजन
इस किस्से से तो हर कोई परिचित है, जब हमारे नन्हें बजरंगी, सूर्य देव को एक स्वादिष्ट फल समझकर उसे खाने के लिए उसकी तरफ उड़ चले थे। आइये इसी किस्से को आज सुनते हैं हमारे एपिसोड 'सूर्य या भोजन' में।
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प्राण वायु का रोक
यह कहानी उस समय की है जब पवन देव क्रोध में आकर खुद को एक गुफा के पीछे छिपा लेते हैं। सभी पृथ्वीजन ब्रह्मदेव सहित पवन देव का क्रोध शांत करने और उनसे बात करने पहुँचते हैं। आइये इस कहानी को पूर्ण रूप से सुनें 'प्राण वायु का रोक' एपिसोड में।
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अक्ष ऋषि का आश्रम
नन्हें बजरंगी की लीलाओं से राजा केसरी और माता अंजना के साथ-साथ सभी पृथ्वीजन भी परेशान थे। उन्होंने पृथ्वी लोक पर ऐसा उत्पात मचाया हुआ था कि सभी ऋषि-मुनी परेशान हो चुके थे। ऐसे ही एक परेशान ऋषि थे ऋषि अक्ष। आइये सुनते हैं ऋषि अक्ष और हनुमान की कहानी।
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तारु का अपहरण
एक रोज़ भगवान् हनुमान के मित्र तारु का अपहरण हो जाता है। वे अपने अन्य मित्रों सहित तारु को बचाने के लिए उस खतरनाक गुफा पर पहुँचते हैं जहाँ तारु को रखा गया था। आइये सुनते हैं क्या हुआ जब वे गुफा पहुंचे।
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राजा बाली और हनुमान की मुलाक़ात
माता अंजना और राजा केसरी के बुलावे पर राजा बली उनके महल में पधारे। यह पहली बार था, जब बाली पवनपुत्र और महाशक्तिशाली हनुमान से मिलने जा रहे थे। इसलिए वे उसकी शक्तियों की परीक्षा भी लेना चाहते थे। आइये सुनते हैं कि उन्होंने किस प्रकार हनुमान की परीक्षा ली।
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बाली और यमदेव का युद्ध
माता अंजना की मृत्य का समय आ चुका था। लेकिन बाली को यह गवारा नहीं था। इसलिए उन्होंने अपनी शक्तियों की सहायता से वो हर मुमकिन कोशिश की जिससे वे अपनी बहन अंजना के प्राणों की रक्षा कर सकें। इसी के चलते वे यमदेव से युद्ध करने पर भी उतारू हो गए। आइये सुनते हैं इस युद्ध के दौरान के क्या-क्या हुआ।
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माता अंजना के प्राण
क्या बाली अपने बहन के प्राणों की रक्षा करने में सफल होंगे या यमदेव माँ अंजना के प्राण हरकर उन्हें अपने साथ ले जाएंगे? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए सुनिए यह एपिसोड।
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महर्षि वाचक
एक रोज़ राजा केसरी और माता अंजना महर्षि वाचक के पास पहुंचे। वे अपने पुत्र हनुमान को उनके यहाँ से शिक्षा प्राप्त करवाना चाहते थे। लेकिन महर्षि वाचक हनुमान को अपना शिष्य बनाने से पूर्व उनकी परीक्षा लेना चाहते हैं। आइये सुनते हैं महर्षि वाचन ने उनकी परीक्षा कैसे ली।
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महर्षि अंगवाहन
महर्षि वाचक के सुझाव अनुसार राजा केसरी हनुमान को शिक्षा प्राप्त करने हेतु महर्षि अंगवाहन के पास ले गए। महर्षि अंगवाहन ने हनुमान को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया। आइये सुनते हैं कि एक शिष्य के रूप में हनुमान का जीवन कैसा बीत रहा था।
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बाली और राक्षसों का युद्ध
बाली अपने भ्राता सुग्रीव सहित राक्षस दुधुंभी और मायावी से युद्ध करने के लिए निकले। वे सुग्रीव को उन राक्षसों की गुफा के बाहर पहरा देने के लिए कहते हैं और स्वयं उनसे युद्ध लड़ने उनकी गुफा में चले जाते हैं। आइये सुनते हैं आगे की कहानी।
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हनुमान को कैसे मिला अभिशाप
क्या आप जानते हैं महर्षि अंगवाहन हनुमान के प्रति अपना क्रोध दर्शाते हुए उन्हें शक्तिहीन और बलहीन होने का श्राप दे देते हैं? आइये इस वाक्य से जुड़ी पूरी कहानी को हम 'हनुमान को कैसे मिला अभिशाप' एपिसोड में सुनें।
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सूर्यदेव से शिक्षा
महर्षि अंगवाहन से शिक्षा प्राप्त कर भगवान् हनुमान सूर्यदेव से शिक्षा प्राप्त करने पहुँचते हैं। परन्तु सूर्यदेव उन्हें शिक्षा प्रदान करने से इंकार कर देते हैं। वे ऐसा क्यों करते हैं, यह जानने के लिए सुनिए एपिसोड 'सूर्यदेव की शिक्षा'।
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सूर्यवंश की कहानी
एक रोज़ माता अंजना अपने पुत्र हनुमान को सूर्यवंश की कहानी सुना रही थी। कहानी सुनाते-सुनाते वे हनुमान को उनके जीवन-लक्ष्य और उनके आराध्य श्रीराम से परिचित करवाती हैं। आइये हम भी सुनते हैं माता अंजना की यह कहानी।
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मदारी और हनुमान का नृत्य
एक दिन सुमेर नगर के महामहल के पास एक दिलचस्प मदारी आता है। उस मदारी के नृत्य को देख हनुमान भी उनके साथ मज़े से नृत्य करने लगता है। दोनों को आनंद से झूमते देख माता अंजना और राजा केसरी बेहद खुश हो जाते हैं। आइये सुनते है आगे क्या हुआ।
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अयोध्या की यात्रा
श्रीराम भक्त हनुमान अपने प्रभु से मिलने के अतिउत्साहित थे। इसी के चलते वे मदारी से बार-बार अपनी गति बढ़ाने को कहते। परन्तु मदारी उन्हें समझाता की वे सब्र रखें। वे दोनों जल्द ही अयोध्या पहुँच जाएंगे। आइये सुनते हैं आगे उनकी इस यात्रा में क्या-क्या होता है।
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हनुमान की श्रीराम से मुलाकात
आखिर कार एक भक्त की अपने प्रभु से मुलाक़ात होती है। भगवान् हनुमान की श्रीराम से मुलाक़ात होती है और उन्हें पृथ्वी पर अपने अतरित होने का मुख्य कारण प्राप्त होता है।