महात्मा गांधी कहते थे, “सत्य के साथ मेरे प्रयोग में, जो प्रकरण लिखने वाला हूँ, इनमें यदि पाठकों को अभिमान का भास हो, तो उन्हें अवश्य ही समझ लेना चाहिए कि मेरे शोध में खामी है और मेरी झाँकियाँ मृगजल के समान हैं। मेरे समान अनेकों का क्षय चाहे हो, पर सत्य की जय हो। अल्पात्मा को मापने के लिए हम सत्य का गज कभी छोटा न करें। मैं चाहता हूँ कि मेरे लेखों को कोई प्रमाणभूत न समझे। यही मेरी विनती है। मैं तो सिर्फ यह चाहता हूँ कि उनमें बताए गए प्रयोगों को दृष्टांत रूप मानकर सब अपने-अपने प्रयोग यथाशक्ति और यथामति करें। मुझे विश्वास है कि इस संकुचित क्षेत्र में आत्मकथा के मेरे लेखों से बहुत कुछ मिल सकेगा; क्योंकि कहने योग्य एक भी बात मैं छिपाऊँगा नहीं। मुझे आशा है कि मैं अपने दोषों का खयाल पाठकों को पूरी तरह दे सकूँगा। मुझे सत्य के शास्त्रीय प्रयोगों का वर्णन करना है। मैं कितना भला हूँ, इसका वर्णन करने की मेरी तनिक भी इच्छा नहीं है। जिस गज से स्वयं मैं अपने को मापना चाहता हूँ और जिसका उपयोग हम सबको अपने-अपने विषय में करना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग हम सबको अपने आपको आँकने, मापने और अपने विकारों को दूर कर सत्य पर डटे रहने की प्रेरणा देती है।
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जन्म और बचपन
"सत्य के प्रयोग' के पहले एपिसोड में सुनिए गांधी जी के जन्म और बचपन से जुड़े कुछ मज़ेदार
किस्से। साथ ही सुनिए, किस तरह उनके माता-पिता, दादा, परदादा के जीवन में आए बदलते
समय के कारण उन्हें अपना जन्म स्थान छोड़ अपने कर्मस्थान में बसना पड़ा। और तो और,
पढ़ाई के दिनों किस तरह गांधी जी ने अपने शिक्षकों से जीवन के कुछ सबसे महत्वपूर्ण उसूल
और मूल्य प्राप्त किये, ये भी हम आपको बताएंगे। " -
बालविवाह
"क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी की तीन सगाईयाँ हुई थी। लेकिन पहली दो कन्याएं एक
के बाद एक मर गयी। जिसके बाद उन्होंने तीसरी सगाई कस्तूरबा गाँधी से की थी। इस
एपिसोड में सुनिए गाँधी जी के विवाह के बारे में और बालविवाह पर उनकी क्या क्या राय है। " -
पतित्व
"इस एपिसोड में सुनिए विवाह के पश्चात गांधी जी का अपनी पत्नी के साथ बर्ताव कैसा था। उन
दोनों के बीच किस प्रकार का रिश्ता था। साथ ही, सुनिए क्यों खुद महात्मा गांधी अपने आप
को एक अच्छा पति नहीं मानते। " -
हाईस्कूल में
"महात्मा गांधी ने अपने जीवन काल में बहुत ज्ञान प्राप्त किया है।हिन्दुस्तान और विलायत, दोनों
ही जगह उन्होंने अलग-अलग विषय और भाषाएं सीखी हैं। इस शिक्षा की बदौलत उन्होंने अपने
गुरुओं से जीवन के कुछ अहम संस्कार और और मूल्य प्राप्त किये हैं। साथ ही, उन्होंने यह
समझ भी हासिल की है कि हर किसी को एक से ज़्यादा भाषा आनी चाहिए। इस एपिसोड में
आप इन्ही सब बातों के ऊपर गांधी जी के विचार सुनेंगे। " -
दुःखद प्रसंग - १
"बापू के जीवन के इस प्रसंग में जानिये कि उन्होंने वैष्णव परिवार से होते हुए और पूर्ण रूप से
शाखाहारी होते हुए भी, केवल अपने एक दोस्त की देखा-देखी में मांसाहार का सेवन करने का
निश्चय किया। यह उनके जीवन की पहली दुःखद घटना थी। " -
दुःखद प्रसंग - २
"जीवन का कोई एक प्रसंग दुःखद हो तो समझ में आता है, लेकिन अपनी नादानी और बुरी
संगत के कारण यदि जीवन में बार-बार दुःखद प्रसंगों का अनुभव करना पड़े, तो वो आपकी
गलती और लालच का नतीजा होता है। कुछ ऐसा ही महात्मा गांधी के जीवन में होता रहा।
लेकिन, ईश्वर की कृपा थी कि हमेशा ऐसे प्रसंगों में बच जाते थे और उन्हें इसी भी तरह का
नुकसान नहीं पहुंचता था। " -
चोरी और प्रायश्चित
"इस एपिसोड में सुनिए गांधी जी के जीवन की एक और घटना जिससे वे बेहद शर्मिन्दा थे। ये
घटना उनके विवाह से पहले जवानी के दिनों की है। इससे उन्हें जीवन की कुछ महत्वपूर्ण
सीख मिली थी। "