लौह पुरुष सरदार वल्लभाई पटेल सिर्फ आदर्श व्यक्ति ही नहीं, बल्कि साहसी और प्रखर इंसान थे। उन्होंने पूरे देश को एक करने में भरपूर कोशिश की । उनका नाम तो सरदार वल्लभाई पटेल था पर उनके महान कार्यो के कारण उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई।
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ट्रेलर
लौह पुरुष सरदार वल्लभाई पटेल सिर्फ आदर्श व्यक्ति ही नहीं, बल्कि साहसी और प्रखर इंसान थे। उन्होंने पूरे देश को एक करने में भरपूर कोशिश की । उनका नाम तो सरदार वल्लभाई पटेल था पर उनके महान कार्यो के कारण उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई।
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शो का परिचय
शो का परिचय
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सरदार का जन्म
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। किसान परिवार में जन्म लेने की वजह से पढ़ने लिखने में उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई। आगे की कहानी जानने के लिए सुनिए हमारा यह एपिसोड "सरदार का जन्म"
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सरदार और पढ़ाई
सरदार वल्लभ भाई पटेल एक किसान परिवार से थे। इस वजह से उनके परिवार की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं थी। पढ़ाई के लिए भला खर्चा करने की वह सोच भी नहीं सकते थे। उन्होंने वकालत की पढाई करने का भी सिर्फ इसलिए सोचा क्योंकि इसकी पढ़ाई घर पर रहकर भी की जा सकती है। वकालत करने में ज़्यादा खर्च भी नहीं था। इसलिए उन्होंने वकीलों से कानून की किताबे मांगकर पढाई की और परीक्षा पास कर ली। उन्होंने वकालत की शुरुआत गोधरा से की।
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सरदार और उनका त्याग
सरदार वल्लभाई पटेल को विलायत जाकर अपनी बैरिस्टर की पढाई करनी थी। उन्होंने पाई पाई जोड़कर विलायत जाने के पैसे भी जमा कर लिए। अचानक उनके बड़े भाई विट्ठल ने विदेश जाकर पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर की, जिसपर वल्लभाई राज़ी हो गये। दरअसल उनके मन में अपने बड़े भाई के लिए बेहद सम्मान था। लेकिन क्या वल्लभाई पटेल खुद विलायत जा कर पढ़ने का सपना पूरा कर पाए ? जानने के लिए पूरी कहानी सुनिए।
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सरदार का संयम
एक बार उनकी पत्नी की तबियत बहुत ख़राब थी। इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को इलाज के लिए मुंबई के एक असप्ताल में दाखिल करवा दिया और खुद गुजरात लौट आए। एक दिन जब वो कोर्ट में केस लड़ रहे थे तब उन्हें अचानक ही पत्नी के निधन की खबर मिली। उनके चहरे पर उनके पत्नी के मौत का दुःख नहीं था और वो केस लड़ते रहे। कोर्ट के बाद उन्होंने अपने पत्नी की मौत की खबर जब सभी को दी तो सब चौक गए। कुछ इस तरह का था वल्लभाई पटेल का संयम।
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वकालत और पाप
पेशे से वकील रहे सरदार वल्लभाई पटेल ने अपने भाषण में एक बार वकालत को पाप माना था। वो सोचते थे कि अपनो की सेवा करना ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है, इसलिए वो पुण्य कमाने के लिए गांधीजी के साथ जुड़ गए।
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सरदार और गांधी
सरदार वल्लभाई पटेल गांधीजी को बहुत मानते थे और उन्ही के साथ रहते थे। पुरे देश में आंदोलन का माहौल था और 'चोरा चोरी' आंदोलन ने कुछ अलग ही मोड़ ले लिया था। गांधीजी को यह आंदोलन तुरंत ही रोकना पड़ा और उन्हें ६ साल की सजा भी हो गई थी। ऐसे में किस तरह सरदार पटेल ने उनकी सहायता की चलिए सुनते है
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सरदार का संत्याग्रह
वल्लभाई पटेल के सरदार बनने कि कहानी सत्याग्रह से जुडी हुई है। ये सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान हुआ था !
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सरदार का आंदोलन
"एक समय था जब सरदार पटेल पुरे देश में घूमकर स्वतंत्रता के बारे में लोगो को जाग्रत कर रहे थे। उन्होंने अहमदाबाद का किराये का मकान भी छोड़ दिया था। उसके बाद तो वो ५ साल जेल में, तो कभी जेल के बाहर रहते थे और देश की स्वतंत्रता में जुड़े रहते। भारत की आजादी में उनका कितना योगदान था चलिए सुनते हैं।"
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देश और जाति
"आजादी के बाद देश में जात पात को लेकर दंगे हो रहे थे। ऐसे में सरदार एक ऐसी ताकत के रूप में सामने आए जिन्होंने ना केवल देश को जोड़ा, बल्कि छोटी मोटी रियासत को भी देश में शामिल किया। किस तरह जम्मू कश्मीर देश में विलय हुआ और क्या था सरदार का योगदान चलिए सुनते है। "
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देश का हिस्सा
"हमारे देश को आज़ादी मिल गई थी और कश्मीर भी देश का हिस्सा बन गया था। लेकिन २ शहर अभी तक देश का हिस्सा नहीं थे, वो थे जूनागढ़ और हैदराबाद। जूनागढ़ के नवाब पाकिस्तान में रहना चाहते थे, लेकिन जूनागढ़ चारो तरफ से भारत से जुड़ा हुआ था। इस पर सरदार पटेल ने क्या निर्णय लिया चलिए सुनते है। "
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देश में बगावत
जूनागढ़ की तरह हैदराबाद भी भारत में विलय नहीं होना चाहता था। वहां के निज़ाम हैदराबाद को एक अलग ही देश घोषित कर देना चाहते थे। वो भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश में विलय हो उसका हिस्सा नहीं होना चाहते थे। सरदार पटेल ने इस पर क्या किया चलिए सुनते है।
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देश सेवा
सरदार पटेल देश सेवा को सबसे सर्वप्रथम मानते थे, जिसके लिए वह कुछ भी कर सकते थे। उन्होंने देशवासियों के खो चुके स्वाभिमान को फिर से जगाने का काम किया। जेल में भागदौड़ के कारण वह बीमार हो रहे थे और उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा। लेकिन फिर भी वह देश की सेवा करने में जुटे रहे। दिन पर दिन खराब होती उनकी तबियत के कारण उन्हें इलाज के लिए मुंबई ले जाया गया। लेकिन १५ दिसंबर १९५० को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई और लौह पुरुष ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
Sitaram Chaudhary
January 2, 2020 (14:32)
9862213137
Sitaram Chaudhary
January 2, 2020 (14:33)
Rahul hero
Ganpat Parjapat
February 9, 2020 (11:38)
जय हो
Vikas Bhawasar
April 24, 2020 (17:48)
nice
allied Telecom
April 29, 2020 (21:40)
yes