जब कोई किसी तानाशाह के बारे में बात करता है तो क्रूरता की तस्वीरें हमारी आंखों के सामने घूमने लगती हैं। पूरे विश्व में अलग-अलग दौर में कई खूंखार और जालिम तानाशाह हुए हैं, जिनके जुल्मों की कहानी रोंगटे खड़े कर देती है। कोई तानाशाह अकेले छह लाख लोगों को मौत के घाट उतार देता है, तो कोई तानाशाह अपने ही लोगों पर जहरीली गैस छोड़ देता है। कोई महज मुंह खोलने पर सामने वाले को तोप से उड़ा देता है या फिर बदन से सारे कपड़े उतरवाकर भूखे कुत्तों का निवाला बनने छोड़ देता है। विश्व में तानाशाहों और तानाशाही का एक लंबा इतिहास रहा है। गजब की बात तो यह है कि आज के आधुनिक दौर में जब लोग प्रगतिशीलता की ओर अग्रसर हैं, तब भी किम जोंग उन जैसे तानाशाह की खबरें सुनने को मिलती हैं। हालाँकि, इस शो में हम बात करेंगे उन तानाशाहों की, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। हम आपके लिए ऐसे ग्यारह तानाशाहों की जीवन गाथा लेकर आये हैं, जिनके जुल्म के आगे विश्व की तमाम जुल्मों की कहानी छोटी लगने लगती हैं। ये वो ग्यारह तानाशाह हैं, जिनके हाथ लाखों लोगों के खून से सने हैं।
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परिचय
जब कोई किसी तानाशाह के बारे में बात करता है तो क्रूरता की तस्वीरें हमारी आंखों के सामने घूमने लगती हैं। पूरे विश्व में अलग-अलग दौर में कई खूंखार और जालिम तानाशाह हुए हैं, जिनके जुल्मों की कहानी रोंगटे खड़े कर देती है। कोई तानाशाह अकेले छह लाख लोगों को मौत के घाट उतार देता है, तो कोई तानाशाह अपने ही लोगों पर जहरीली गैस छोड़ देता है। कोई महज मुंह खोलने पर सामने वाले को तोप से उड़ा देता है या फिर बदन से सारे कपड़े उतरवाकर भूखे कुत्तों का निवाला बनने छोड़ देता है। विश्व में तानाशाहों और तानाशाही का एक लंबा इतिहास रहा है। गजब की बात तो यह है कि आज के आधुनिक दौर में जब लोग प्रगतिशीलता की ओर अग्रसर हैं, तब भी किम जोंग उन जैसे तानाशाह की खबरें सुनने को मिलती हैं। हालाँकि, इस शो में हम बात करेंगे उन तानाशाहों की, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। हम आपके लिए ऐसे ग्यारह तानाशाह की जीवन गाथा लेकर आये हैं, जिनके जुल्म के आगे विश्व की तमाम जुल्मों की कहानी छोटी लगने लगती हैं। ये वो ग्यारह तानाशाह हैं, जिनके हाथ लाखों लोगों के खून से सने हैं।
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चंगेज़ खान
अक्सर इतिहास में नायकों और घटनाओं को रेफरेंस पॉइंट या परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। सिकंदर दुनिया पर कहर बनकर टूटा तो यूनान के लिए शायद सबसे अच्छा राजा रहा हो। ठीक इसी प्रकार चंगेज खान, तैमूर लंग, अशोक या अकबर को आप देख सकते हैं। किसी एक रेफरेंस पॉइंट में वे हीरो नज़र आते हैं तो दूसरे में इसके उलट। विश्व इतिहास में तेरहवीं सदी शायद सबसे ज़्यादा ख़ूनी सदी रही होगी। यह वह सदी थी जिसमें मंगोलों का कहर चीन से लेकर रूस तक और फिर बगदाद और पोलैंड तक बरपा। आज हम एक ऐसे ही मंगोल की बात कर रहे हैं जो दुनिया का सबसे क्रूर सेनापति कहलाया। यह शख्स था चंगेज खान। आइये आपको चंगेज़ खान की दुनिया से मिलवाते हैं।
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सद्दाम हुसैन
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ईराक ब्रिटिश जनादेश के अंतगर्त था, जिसे अक्टूबर 1932 में सम्पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी। सन 1936 में ईराक में तख्तापलट हो गया, जिससे अरब राष्ट्रवाद के पुनर्जीवन की पार्टी बनी। सद्दाम हुसैन आगे चलकर इसी पार्टी का नेता बना था | सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 में ईराक़ की तिकरित नदी के पास दजला नदी के उत्तर पश्चिम में हुआ था | सद्दाम का पूरा नाम सद्दाम हुसैन अब्द-अल-मजीद अल-टिकरी था | सद्दाम का जिस परिवार में जन्म हुआ था वो एक भूमिहीन सुन्नी परिवार था, जो पैगम्बर मोहम्मद के वंशज होने का दावा किया करते थे। सद्दाम हुसैन दुनिया के सबसे बदनाम कातिलों में से एक माना जाता है, जिसने अपनी तानाशाही के बल पर लाखों को मौत के मुँह में धकेल दिया था। सद्दाम ईराक का पाँचवा राष्ट्रपति था, जिसने ईराक पर लगभग 30 सालों तक राज किया | आइये आपको उस बदनाम कातिल तानाशाह सद्दाम हुसैन की जीवनी से रूबरू करवाते है।
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स्टालिन
स्टालिन के नाम का मतलब होता है लौह पुरुष। स्टालिन ने जिस तरह की ज़िंदगी जी, उससे ये लगता है कि उन्होंने अपना नाम सार्थक किया। उन्होंने रूस को इतना ताक़तवर बनाया कि उसने हिटलर की जर्मन सेना को दूसरे विश्व युद्ध में मात दी। वो क़रीब एक चौथाई सदी तक सोवियत संघ के सबसे बड़े नेता रहे। लेकिन ये भी कहा जाता है कि स्टालिन के राज में ज़ुल्मो-सितम की भी इंतेहा हुई। उनकी नीतियों और फ़रमानों की वजह से कथित तौर पर दसियों लाख लोग मारे गए। एक दौर में दुनिया के सबसे ताक़तवर नेता रहे, स्टालिन की ज़िंदगी एक मामूली से परिवार से शुरू हुई थी। सोवियत संघ के शासक जोसेफ़ स्टालिन को कभी कम्युनिस्टों का आदर्श माना जाता था। वो सोवियत संघ के बहुत बड़े हीरो थे। मगर, क्या वो वाक़ई ऐसे थे? या फिर उन्हें आज नरसंहार करने वाले नेता के तौर पर याद किया जाए?
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ईदी अमीन
ईदी अमीन 1971 से 1979 तक युगांडा का सैन्य नेता एवं राष्ट्रपति था। 1946 में अमीन ब्रिटिश औपनिवेशिक रेजिमेंट किंग्स अफ़्रीकां राइफल्स में शामिल हो गया और 25 जनवरी 1971 के सैन्य तख्तापलट द्वारा मिल्टन ओबोटे को पद से हटाने से पूर्व युगांडा की सेना में अंततः मेजर जनरल और कमांडर का ओहदा हासिल किया। बाद में देश के प्रमुख पद पर आसीन रहते हुए उसने स्वयं को फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत कर लिया। अमीन के शासन को मानव अधिकारों के दुरूपयोग, राजनीतिक दमन, जातीय उत्पीड़न, गैर कानूनी हत्याओं, पक्षपात, भ्रष्टाचार और सकल आर्थिक कुप्रबंधन के लिए जाना जाता था। अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षकों और मानव अधिकार समूहों का अनुमान है कि उसके शासन में 1,00,000 से 5,00,000 लोग मार डाले गए। अपने शासन काल में, अमीन को लीबिया के मुअम्मर अल-गद्दाफी के अतिरिक्त सोवियत संघ तथा पूर्वी जर्मनी का भी समर्थन हासिल था। आइये सुनते हैं उनकी कहानी।
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गद्दाफ़ी
कर्नल गद्दाफी का पूरा नाम मुअम्मर अल गद्दाफी था। साल 1951 में लीबिया को पश्चिमी देशों के मित्र किंग इदरीस के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। युवा काल में गद्दाफी अरब राष्ट्रवाद से बहुत प्रभावित था। इसके अलावा यह मिस्र के नेता गमाल अब्देल नासिर का भी बड़ा प्रशंसक था । साल 1961 में गद्दाफी ने बेनगाजी के सैन्य कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके अलावा उसने यूनाइटेड किंगडम में चार महीने सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था। सैन्य कॉलेज से स्नातक होने के बाद लीबिया की फौज में गद्दाफी ने कई उच्च पदों पर काम किया। लेकिन, इस दौरान उनका प्रशासक इदरीस के साथ मतभेद बढ़ने लगा। बाद में गद्दाफी सेना छोड़ सरकार के विरुद्ध काम करने वाले एक गुट में शामिल हो गया। आइये सुनते हैं इनके शासन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
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हिटलर
एडोल्फ हिटलर एक जर्मन शासक थे। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। इस पार्टी को ‘नात्ज़ी पार्टी’ के नाम से जाना जाता है। सन् १९३३ से सन् १९४५ तक वह जर्मनी के शासक रहे। हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब उनके आदेश पर नात्ज़ी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनों ने नात्ज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। आइये आपको हिटलर के जीवनकाल से जुड़े कुछ अनोखे रहस्यों से रूबरू करवाते हैं।
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होस्नी मुबारक़
मिस्र के 82 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक क़रीब 30 वर्षों तक सत्ता में रहे और इस प्रकार उन्होंने अरब जगत के सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले देश का नेतृत्व किया। किसी ने भी शायद ये नहीं सोचा था कि 1981 में अनवर सादात की हत्या के बाद उप-राष्ट्रपति के पद पर मौजूद बहुत ही कम जाने पहचाने नाम होस्नी मुबारक को राष्ट्रपति का पद सौंपा जाएगा और वह इतने वर्षों तक देश की कमान संभाले रहेंगे। उनके 30 साल के प्रशासन में आपातकाल सी स्थिति रही क्योंकि कहीं भी पांच से ज़्यादा व्यक्तियों के इकठ्ठा होने पर पाबंदी थी। अनवर सादात की हत्या इस्लामी चरमपंथियों ने क़ाहिरा में एक सैनिक परेड के दौरान कर दी थी और मुबारक भाग्यशाली रहे थे कि उन्हें गोली नहीं लगी। हालांकि वो उस वक़्त उनके बग़ल में मौजूद थे। आइये सुनते हैं इनके शासन की कहानी।
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किम जोंग उन
नार्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन बचपन से ही तानाशाह और बिगडैल स्वभाव के रहें हैं। उसके इस स्वभाव के लिए उसके परिवार के लोग भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। किम जोंग को जो चीज पसंद नहीं आती थी वो उसके साथ तुरंत बुरा बर्ताव करता था। उसे दूसरे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने की सीख ही नहीं दी गई जिसकी वजह से उसका मन बढ़ता चला गया और वो खूंखार तानाशाह बन गया। दूसरों पर रौब दिखाने के लिए ११ साल की उम्र में उसे पिस्तौल थमा दी गई। इस पिस्तौल से वो दूसरों पर रौब झाड़ता और उनको डराता धमकाता था। किम जोंग के मन में बचपन से ही राज करने की प्रवत्ति देखने को मिली। वो कमजोर बच्चों को अक्सर मारता था, यदि कोई उसका कहना नहीं मानता तो वो उसके साथ बुरा व्यवहार करता था। ऐसे अल्हड तानाशाह की दास्ताँ सुनिए इस एपिसोड में।
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लेनिन
व्लादिमीर इलीइच उल्यानोव, जिन्हें लेनिन के नाम से भी जाना जाता है, (२२ अप्रैल १८७० – २१ जनवरी १९२४) एक रूसी साम्यवादी क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ तथा राजनीतिक सिद्धांतकार थे। लेनिन को रूस में बोल्शेविक की लड़ाई के नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। वह 1917 से 1924 तक सोवियत रूस के, और 1922 से 1924 तक सोवियत संघ के भी "हेड ऑफ़ गवर्नमेंट" रहे। उनके प्रशासन काल में रूस, और उसके बाद व्यापक सोवियत संघ भी, रूसी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित एक-पक्ष साम्यवादी राज्य बन गया। लेनिन विचारधारा से मार्क्सवादी थे, और उन्होंने लेनिनवाद नाम से प्रचलित राजनीतिक सिद्धांत विकसित किए। आइये सुनते हैं उनके शासन की कहानी।
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मुसोलिनी
बेनिटो मुसोलिनी, ऐसा तानाशाह जो जनता को प्यारा था। जिसे जनता पूजे जाने की हद तक चाहती थी। जिसके पीछे पूरी ताकत से खड़ी थी और फिर एक दिन, उसी जनता ने उसकी लाश को चौराहे पर टांग कर जूते मारे। मुसोलिनी वो था, जो कई मामलों में हिटलर भी नहीं था। लेकिन हिटलर के काले कारनामों का शोर-शराबा इतना ज़्यादा हो गया कि उसके शोर में मुसोलिनी को इतिहास ने भुला सा दिया। आधुनिक इतिहास में दुनिया के तख्ते पर जितने भी अतिवादी तानाशाह हुए हैं, उनमें मुसोलिनी का नाम प्रमुखता से आता है। लोकतंत्र का टेंटुआ दबाने का काम जितने बड़े पैमाने पर मुसोलिनी ने किया, उतना शायद ही किसी और ने किया हो। एक तानाशाह के अविश्वसनीय उत्थान और उससे भी अविश्वसनीय की पतन की कहानी है बेनिटो मुसोलिनी की जीवनयात्रा।