ज़िंदगी ये एक शब्द अपने आप में कितना कुछ कह देता है। इसके मायने इतने बड़े और ज़्यादा हैं कि पूरी उम्र लग जाती है इसे समझने में। ज़िंदगी जिसमें कभी ख़ुशी पलक-झपकते ही चली जाती है और ग़म साथ छोड़ने का नाम नहीं लेता। किसी ना किसी मुसीबत के रूप आपके पास आ ही जाता है। लेकिन, कुछ भी कहो, ज़िंदगी होती बड़ी दिलचस्प है। अगर आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति हो, तो इसे जीने का मज़ा बहुत आता है। और, इससे सीखने भी बहुत मिलता है। इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं एक नया शो ‘अनामिका’। ‘अनामिका’ एक ऐसी कहानी है जिससे आपको ज़िंदगी में होती जद्दो-जहद, हार-जीत और भी बहुत से अहम् मुद्दों के बारे में सीखने मिलेगा।
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एक्सीडेंट
एक इंसान की हंसती-खेलती ज़िन्दगी कब दुखों का तूफ़ान आ जाये, कोई कह नहीं सकता। मेरी दोस्त दृष्टि की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक रोज़ वो अपनी टेनिस की नेट प्रैक्टिस पूरी कर वापस आ ही रही थी, कि उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे उसके सारे सपने, उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई।
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फ्रेंडस
दृष्टि को यूं डिप्रेस्ड और जीने की उम्मीद छोड़ते देख, उसके दोस्त उसका मूड ठीक करने और उसकी प्रोब्लेम का सोल्युशन ढूँढने उसके पास पहुंच गए। आइये सुनते हैं कि वे किस तरह अपनी दोस्त की मदद कर रहे हैं।
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अनामिका
दिशा ने सबको एक कहानी सुनाना शुरु किया, जिसका नाम था 'अनामिका'। आइये सुनते हैं कि दिशा की इस कहानी में क्या-क्या होता है और क्या दिशा पर इसका प्रभाव पड़ता है।
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कल्चर का महत्व
अनामिका की कहानी सुन बेशक ईशा, रोहन और कहीं ना कहीं सभी के मन में बहुत से सवाल उठने लगे। धीरे-धीरे दिशा कहानी के माध्यम से ही उन सभी सवालों का जवाब देती जा रही थी। आइये दिशा के सभी जवाबों को सुनते हैं।
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दृष्टि का रिएकशन
देखते ही देखते, दिशा की तरक़ीब रंग ला रही थी। अनामिका को लेकर दृष्टि की दिल्चस्पी बढ़ती जा रही थी। वो उसके जीवन की मुसीबतों को अपने जीवन की मुसीबतों के साथ जोड़ने लगी थी।
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महात्मा
अनामिका महात्मा की बातों में खोती जा रही थी। उसका उनके नज़रिये पर विश्वास बढ़ता जा रहा था। लेकिन, शायद दृष्टि और उसके दोस्त महात्मा की बातों को समझ नहीं पा रहे थे, या युं कहुँ, समझना नहीं चाहते थे।
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किस्मत
क्या हमारे साथ जो भी होता है, वो हमारी किस्मत में पहले से लिखा होता है? क्या इंसान अपनी किस्मत खुद लिख सकता है? क्या किस्मत में लिखा कोई बदल सकता? कहानी के इस मोड़ पर सारे दोस्त इन सब सवालों पर चर्चा कर रहे थे।
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रुल ओफ कौज़ेलिटि
रुल ओफ कौज़ेलिटि' एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में हर किसी को बेसिक जानकारी होनी चाहिए। इस एपिसोड में सुनिये किस तरह दिशा भी अपने सारे दोस्तों को 'रुल ओफ कौज़ेलिटि' के बारे में समझाती है।
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पोइज़ंड चालिस
अनामिका के बारे में बात करते-करते दोस्तों की इस टोली के बीच दो ऐसे मुद्दों पर डिबेट छिड़ गई, जिन पर आज के समय हमारे समाज में कोई बात नहीं करना चाहता। सबसे पहले उनकी डिबेट हुई 'पोइज़ंड चालिस' के बारे में। ऑथर विलियम शेक्सपियर द्वारा दिए गए इस शब्द का अर्थ है 'मीठा ज़हर'। आइये सुनते हैं 'पोइज़ंड चालिस' के ऊपर इन लोगों की क्या राय है।
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डिलिवरी ऑफ जस्टिस
दूसरा विषय जिन पर दृष्टि और उसके दोस्तों की डिबेट जारी रहती है, वह है 'डिलिवरी ऑफ जस्टिस'। 'डिलिवरी ऑफ जस्टिस' एक ऐसा यूनिवर्सल लॉ जो हर किसी को चाहिए, लेकिन कोई इसका पालन नहीं करता। आइये सुनते हैं कि दृष्टि इसके बारे में क्या सोच रखती है?
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इनटर्नल डिपेंडेंसी
दृष्टि को यह एहसास दिलाने कि उसके साथ जो कुछ भी उसमे कहीं ना कहीं, उसकी पिछली गलतियों की सज़ा छिपी हुई थी, वह उसे 'इनटर्नल डिपेड़नसी' का मतलब बताती है। वह कहती है कि दृष्टि का दर्द उस एक्सीडेंट से कहीं ज़्यादा दृष्टि के मन में चल रही बहुत सी चीज़ों से बढ़ रहा है।
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अनामिका में बदलाव
महात्मा से मिलकर अनामिका को जीवन जीने का जो नया नज़रिया मिला था, अब वो उसका पूरी तरह से पालन कर रही थी। मुश्किलें तो अभी भी उसके जीवन में उतनी ही थी, लेकिन अब उनसे डील करने का उसका तरीका बदल चुका था, बेहतर हो चूका था। शायद इसलिए अब वह हर परिस्थिति में खुश रहना सीख गई थी।
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दृष्टि का सपराइज़
अनामिका की कहानी सुनाकर जिस बात का एहसास दिशा दृष्टि को करवाना चाहती थी, उस बात का एहसास दृष्टि को हो चूका था। उसमे फिर एक बार पहले जैसी ऊर्जा, आत्मविश्वास और उमंग आ चुकी थी।
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दृष्टि का आखरी फैसला
अनामिका की कहानी और दिशा की मोटिवेशनल बातों ने अपना काम कर दिखाया। दृष्टि फिर एक दुनिया के सामने आकर अपने पंख फैलाने के लिए तैयार थी। पर इस बार, एक अलग रूप में, एक अलग कारण के लिए। क्या है वो कारण, जानने के लिए सुनिए इस शो का आखरी एपिसोड।